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॥ देश की सुरीली धड़कन ॥

संगीत में गायन,वादन और नृत्य का समावेश होता है ।इस दुनिया में शायद ही कोई इन्सान हो जिसे संगीत पसंद ना हो ।लेकिन हाँ सबको एक जैसा ही संगीत पसंद हो , यह भी जरुरी नहीं । सबके पसंदीदा संगीत का अपना-अपना मिजाज होता है । किसी को गजल पसंद होता है ,तो किसी को हलके-फुल्के प्यार भरे गीत ,कोई म्यूजिक की तेज धुनों वर्ल्ड म्यूजिक डेपर थिरकता है तो किसी के पांव घुंघरुओं की छनछन से बेकाबू हो जाते हैं । बहुत से लोग तो प्रकृति में भी संगीत के सुरों को महसूस करतें हैं । चिड़ियों की चचहाहट हो या झरनों की कलकल ,हवाओं की सरसराहट हो या बारिश के बूंदों की टिप-टिप , उन्हें इन सब में संगीत की धुन ही सुनाई देती है । हिंदी सिनेमा में 1930 से लेकर अब तक संगीत के हर रूप को दर्शाया गया है । इन 75 सालों में फ़िल्मी दुनिया के संगीत में काफी बदलाव हुआ है । आज 21 जून को वर्ल्ड म्यूजिक डे है जिसके उपलक्ष्य में आइये सुनते हैं हिंदी सिनेमा के कुछ अलग-अलग सुर संगीत :

 

 

 

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